500+ Short Stories in Hindi – बच्चों के लिए नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ

बच्चों को नैतिक मूल्यों से सजग और समझदार बनाने के लिए, यहाँ हम आपके सामने लेकर आए हैं 500+ हिंदी में नैतिक शिक्षाप्रद कहानियों का एक संग्रह। इन कहानियों के माध्यम से हम बच्चों को जीवन के मूल सिद्धांतों, उदाहरणों, और सीखों से परिचित कराएंगे ताकि वे सही और नैतिक रूप से विकसित हो सकें।

हर कहानी में छुपा हुआ एक सार्थक सन्देश है जो बच्चों को सही मार्गदर्शन करने में मदद करेगा। यह संग्रह बच्चों के स्वभाविक रूप से दृढ़ नैतिक मूल्यों को समझने और अपनाने में सहारा प्रदान करता है।

इस ब्लॉग सीरीज़ में हर कहानी एक अलग पहलुओं को छूती है और बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण सवालों का सामना करने के लिए तैयार करती है। हम आपके साथ साझा करने के लिए उत्सुक हैं और उम्मीद है कि इन कहानियों से आपके बच्चों को नैतिक शिक्षा में आनंद और सीख मिलेगी।

1# शेर और चूहा (A Short Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। उसका नाम सिंहासन था। वह जंगल का राजा था और उसका आदेश जंगल में चलता रहता था।

एक दिन, एक छोटा सा चूहा नामक जानवर उस जंगल में आया। वह बहुत ही बहादुर और बुद्धिमान था। उसने सुना था कि शेर जंगल का राजा है, लेकिन उसमें डर का अभास नहीं हुआ।

चूहा ने शेर सिंहासन के पास जाकर कहा, “हे राजा सिंहासन, मुझे तुमसे कुछ कहना है।”

सिंहासन ने चूहे को गुरुकुल में बुलाया और पूछा, “तुम्हें मुझसे क्या चाहिए?”

चूहा ने कहा, “राजा, मैंने सुना है कि तुम बहुत बुद्धिमान हो, लेकिन तुम्हारा दिल बड़ा ही कठिन है। मैं तुम्हारे साथ मित्रता करना चाहता हूँ।”

शेर सिंहासन ने हंसते हुए कहा, “तुम छोटे हो और मैं तुम्हारा राजा हूँ। ऐसा संभव नहीं है।”

चूहा ने अपनी बुद्धिमत्ता से कहा, “राजा, दिल की बड़ी बातें छोटे होते हैं, और मित्रता सबसे बड़ी बात है।”

शेर सिंहासन ने चूहे की साहस भरी बातों को सुनकर उससे मित्रता करने का निर्णय किया। वे दोनों एक-दूसरे के साथ खेलते, घूमते, और मिलजुल के सुख-संसार का आनंद लेते रहे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मित्रता और दिल की बड़ी बातें हमेशा महत्वपूर्ण होती हैं। छोटे चूहे ने अपनी बुद्धिमत्ता से शेर को दिल की महत्वपूर्णता सिखाई, जिससे उनकी मित्रता में बहुत सुख-संसार बना रहा।

2. भूलभुलैया

एक गाँव में एक बड़ा ही आत्मविश्वासी और शिक्षित बच्चा था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन ने कभी भी अपनी गलती को स्वीकारने में हिचकिचाहट नहीं की और हमेशा सही रास्ते पर चलने का नारा बुलंद रखा।

एक दिन, उसे अपने दोस्तों ने एक नई गेम के लिए बुलाया। गेम का नाम था “भूलभुलैया”। इस गेम में, एक व्यक्ति को एक अजीब से मेज़ में बंद करके उसे बाहर निकलने के लिए विभिन्न मुश्किलें आती थीं। अर्जुन ने भी इस गेम को खेला और जल्दी ही अपनी अद्वितीय बुद्धिमत्ता के कारण इसमें माहिर हो गया।

एक दिन, उसने अपने दोस्तों को गेम में हराने के लिए चुनौती दी। वह बोला, “अगर मैं हार गया तो मैं तुम सभी के लिए एक महीने के लिए सबसे चमकदार और रोचक कहानी लिखूंगा।”

दोस्तों ने सहमति दी और खेल शुरू हुआ। लेकिन इस बार, अर्जुन ने हार को स्वीकार किया। वह गेम के निर्माताओं को बधाई दी और अपने दोस्तों के सामने खड़ा होकर बोला, “मैंने हार को स्वीकार किया है, और मैं अपना वादा पूरा करूंगा।”

उसने एक महीने में सबसे चमकदार और शिक्षाप्रद कहानी लिखी और उसने अपने दोस्तों को सुनाई। उसकी कहानी ने सभी को रोमांचित किया और उन्हें यह सिखने का मौका दिया कि हार को स्वीकार करना भी एक बड़ी बात है और उससे हम अपने आत्मविश्वास को और भी बढ़ा सकते हैं।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हार को स्वीकार करना और उससे सीखना भी महत्वपूर्ण है। हार को स्वीकार करना हमें अपनी गलतियों से सीखने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

लालची शेर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक लालची शेर रहता था। इस शेर का नाम राजा था, क्योंकि वह अपने जंगल को राजा मानता था। राजा शेर का सपना था कि उसके पास सबसे बड़ी और शानदार देन होंगे।

एक दिन, राजा शेर ने सुना कि उसके जंगल में किसी और शेर के पास भी बहुत सारे देन हैं। इस खबर ने उसको बहुत चिढ़ा दिया। उसने तुरंत अपने दोस्तों को बुलाया और निर्णय किया कि वह सबसे बड़ा और सबसे शानदार देन पाने के लिए एक महाराजा शेर की खोज में निकलेगा।

राजा शेर ने अपनी सेना को साथ लिया और दूसरे जंगल की ओर रुखा। वहां पहुंचकर उसने देखा कि उस जंगल का महाराजा शेर एक बड़े पेड़ के नीचे बैठा हुआ था।

राजा शेर ने धीरे-धीरे पास जाकर कहा, “महाराजा शेर, मैं आपके साथ एक मुकाबला करना चाहता हूँ और अगर मैं जीता, तो मुझे सबसे बड़ा और सबसे शानदार देन मिलना चाहिए।”

महाराजा शेर ने हंसते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन तूने क्या लालच किया है इतना बड़ा मुकाबला करने का?”

राजा शेर ने उत्तर दिया, “मुझे सबसे बड़ा देन चाहिए, और मैं हर हाल में उसे प्राप्त करूँगा।”

मुकाबला शुरू हुआ और दोनों शेरों ने एक-दूसरे से टकराएं। लेकिन अचानक, राजा शेर ने देखा कि उसका पूरा ध्यान महाराजा शेर की बड़ी देन पर ही है, जिसे वह बहुत दिनों से लालच में बांधा हुआ था।

राजा शेर ने फिर सोचा, “सच्चा धन वह है जो हमारे साथ है, और जो हम अपने लालच में हासिल करने के लिए खो बैठते हैं, वह हमें हमारी खो देता है।”

राजा शेर ने महाराजा शेर के पास जाकर कहा, “मुझे तुम्हारे साथ मुकाबला नहीं करना है। मैं खुश हूँ जिसके साथ हूँ और जो मेरे साथ है।”

राजा शेर ने अपनी लालची आदतें छोड़ दीं और उसने अपने जंगल को सच्ची शानदारी में बदल दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लालच का अंत बुरा होता है और सच्ची शानदारी वही है जो हमारे साथ है, न कि हमारी लालच में छिपी हुई वस्तु।

3. सुई देने वाली पेड़

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक अजीब सा पेड़ था। यह पेड़ अलग-अलग रंगों की पत्तियों से ढंका हुआ था और उसके फूल बहुत ही अनूठे और खास थे।

गाँववाले इसे “सुई देने वाली पेड़” कहते थे क्योंकि इसके फूल सुई की तरह तेज और लंबे थे। लोग यह मानते थे कि जब इस पेड़ के फूल खिलते हैं, तो यह सुई की तरह आसमान की ऊँचाईयों तक पहुंच जाते हैं और अच्छे कामों की शुरुआत करते हैं।

एक दिन, गाँव का एक छोटा सा बच्चा नामक राजू ने इस पेड़ को देखा और उसकी खासियतों के बारे में सुना। राजू में भी उत्साह और जिज्ञासा थी, और उसने तय किया कि वह भी देखेगा कि यह पेड़ सचमुच में सुई देता है या नहीं।

राजू ने पेड़ के पास जाकर कहा, “अगर तुम सचमुच में सुई देते हो, तो मेरे लिए एक सुनहरी सुई ला दो।”

पेड़ ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें सुनहरी सुई की आवश्यकता नहीं है, राजू। हर एक फूल में एक अद्भुत और अनमोल सिख छुपी होती है।”

पेड़ ने राजू को एक फूल दिया और कहा, “इस फूल को खोलकर देखो और सीखो कि सच्ची खूबसूरती और महत्व अंदर की बातों में छिपी होती हैं।”

राजू ने फूल खोला और उसने देखा कि फूल में एक छोटी सी सुई बनी हुई थी, जो उसे सिखाती थी कि सच्ची सुई उसके अंदर ही है, उसकी आत्मा में।

राजू ने इस अनुभव को समझा और उसने सीखा कि सच्ची सुई और सुंदरता उसके अंदर की अच्छाई और उत्कृष्टता में होती है।

इसके बाद, राजू ने गाँववालों को भी यही सिखाई और सबको यह बताया कि सच्ची सुई वास्तविकता में उनके अंदर ही है, और वे अपनी अद्वितीयता में महत्वपूर्ण हैं।

4. लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था जिसका नाम रामु था। रामु गाँववालों के बीच मशहूर था क्योंकि वह हमेशा हंसता रहता था और लोगों को हंसी में भिगोने में माहिर था। उसका साथी और दोस्त, सुनहरी कुल्हाड़ी, भी उसके साथ हर समय रहती थी।

रामु के पास एक बहुत बड़ा सपना था – वह एक सुनहरी कुल्हाड़ी बनाना चाहता था जो सभी लकड़ी को अद्भुत और सुनहरा बना दे। लेकिन उसके पास इसे बनाने के लिए उचित सामग्री नहीं थी।

एक दिन, रामु और सुनहरी कुल्हाड़ी गाँव के बाहर चले गए और एक विशेषज्ञ के पास गए जो लकड़ी की अद्वितीयता में माहिर था। रामु ने उससे सुनहरी कुल्हाड़ी बनाने के लिए सहारा मांगा।

विशेषज्ञ ने कहा, “तुम्हें सुनहरी कुल्हाड़ी बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है – सही और अच्छी लकड़ी।”

रामु ने कहा, “लेकिन मेरे पास उचित लकड़ी नहीं है।”

विशेषज्ञ ने हंसते हुए कहा, “अगर तुम मुसीबत का सामना करना चाहते हो और सही लकड़ी प्राप्त करना चाहते हो, तो तुम्हें जंगल में चला जाना होगा।”

रामु और सुनहरी कुल्हाड़ी ने जंगल की ओर रुखा और वहां बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया। वे अनजाने में अपनी मित्रता को मजबूत करते हुए एक-दूसरे का साथ दिया और सही लकड़ी प्राप्त करने में सफल रहे।

वापस गाँव में, रामु ने सुनहरी कुल्हाड़ी बनाई और गाँववालों को दिखाई। सभी लोग चौंके रह गए और उनकी कुल्हाड़ी को देखकर हेरान रह गए। रामु ने उन्हें बताया कि सही साथ और सही चुनौतियों का सामना करके ही वह सुनहरी कुल्हाड़ी बना सका है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सही मित्रता और सही मेहनत से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है और हमारे सपने हकीकत में बदल सकते हैं।

5. हाथी और उसके दोस्त की काहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बड़ा सा हाथी रहता था जिसका नाम हैरी था। हाथी हमेशा हंसता रहता था और उसकी दीर्घकाय और मस्ती भरी आदतें सभी जंगलवासियों को पसंद आती थीं।

हाथी के दोस्तों में एक खरगोश, एक बंदर, और एक उल्लू शामिल थे। ये चारों मिलकर हाथी के साथ हर समय मस्ती करते और साथीयों के रूप में उसके साथ रहते थे।

एक दिन, हाथी ने दोस्तों से कहा, “हे दोस्तों, हमें एक साथ मिलकर एक बड़ा पेड़ काटना है ताकि हम उसे अपने घर के लिए एक बड़ी मस्त मिट्टी का घर बना सकें।”

दोस्तों ने खुशी-खुशी सहमति दी और उन्होंने मिलकर एक बड़ा पेड़ काटा। मिट्टी को साथ में ले जाकर हाथी ने एक बड़े-से घर बनाया और उसमें सभी अपने दोस्तों को बुलाया।

घर बनने के बाद, हाथी ने दोस्तों से कहा, “इस घर को हमें मिलकर सजाना चाहिए ताकि यह हमारी मित्रता और साझेदारी का प्रतीक बने।”

दोस्तों ने मिलकर घर को सजाया और उसमें अलग-अलग रंगीनी फूलों से सजावट की। घर बनने के बाद, वे जंगलवासियों के बीच मशहूर हो गए और सभी ने उनकी मित्रता और साझेदारी को सराहा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम मिलकर मेहनत करते हैं तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और साथीयों के साथ मिलकर हर कार्य को आसानी से कर सकते हैं।

6. आलू, अंडे और कॉफी बीन्स

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में आलू, अंडे, और कॉफी बीन्स बहुत अच्छे दोस्त थे। वे तीनों हमेशा एक-दूसरे के साथ रहते थे और हर कदम पर एक दूसरे का साथ देते थे।

एक दिन, गाँव में एक महोत्सव हुआ और सभी अपनी-अपनी स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों को बनाकर लाए। आलू, अंडे, और कॉफी बीन्स ने मिलकर एक साथ काम करने का निर्णय किया और सभी ने मिलकर बहुत सारी विभिन्नता वाली रेसिपीज़ बनाईं।

आलू ने बनाईं टिक्की, अंडे ने बनाया ऑमलेट, और कॉफी बीन्स ने बनाईं चटपटी कॉफी। वे सभी ने अपनी-अपनी विशेषता के साथ मिलकर एक अद्वितीय भोजन बनाया।

महोत्सव के दिन, लोगों ने उनके बनाए गए विभिन्न व्यंजनों का आनंद लिया और सभी ने उन्हें सराहा। उनकी एकता और साझेदारी ने गाँव को सजीव और रंगीन बना दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारी विभिन्नता ही हमें विशेष बनाती है और जब हम मिलकर काम करते हैं तो हम अद्भुत चीजें कर सकते हैं।

7. दो मेंडक की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गहरे जंगल में दो मेंडक रहते थे। उनका नाम राजू और राजनी था। ये दोनों हमेशा मिलकर हंसते खेलते रहते थे और एक-दूसरे के साथ सहायता करते थे।

एक दिन, जंगल में एक बड़ा समस्या आई। एक भयंकर साँप जंगल में आगया और सभी जानवरों को खतरे में डाल दिया। सभी जानवर डरकर भागने लगे, लेकिन राजू और राजनी ने मिलकर एक सोच बनाई।

राजू ने कहा, “हमें इस समस्या का समाधान मिल सकता है, लेकिन हमें मिलकर काम करना होगा।”

राजनी ने भी हृदयस्पर्शी भाषा में कहा, “हाँ, हमें मिलकर साँप को हराना होगा ताकि जंगल में सभी जानवरों को फिर से शांति मिले।”

दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई और साँप के सामने बड़ी होशियारी से आगे बढ़ा। वे मिलकर और एक-दूसरे के साथ सहयोग करके साँप को हराने में कामयाब रहे।

जंगल में शांति और सुरक्षा के बाद, सभी जानवर राजू और राजनी की महानता की सराहना करने लगे। वे दोनों हमेशा मिलकर एक-दूसरे के साथ रहते और जंगल को सुरक्षित रखने के लिए तैयार रहते।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मिलकर काम करना और सहायता करना हमें मुश्किलों से निपटने में मदद कर सकता है, और साथ में कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है।

8. मूर्ख गधा की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक गधा रहता था जिसका नाम गोपाल था। गोपाल गधा था, लेकिन वह बहुत ही अच्छा-दिल था। वह हमेशा खुश रहता और दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता।

एक दिन, गोपाल को एक साँप ने देखा और उसने सोचा, “यह साँप मेरा दोस्त हो सकता है।” गोपाल ने साँप से दोस्ती करने का निर्णय किया और उसे अपने साथ ले आया।

साँप को गाँव में लेकर गोपाल ने देखा कि लोग उसे अच्छे से नहीं लेते और उससे हंसते हैं। गोपाल ने साँप को कहा, “तुम्हे बहुत खतरा हो सकता है, इसलिए तुम मेरे साथ ही रहो।”

गोपाल ने साँप को अपने घर में रखा और उससे दोस्ती की। गोपाल ने साँप को सिखाया कि कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है और वह भी गोपाल की मदद करने लगा।

गोपाल की मदद से साँप ने भी बहुत कुछ सीखा और उसने अपनी बुद्धिमत्ता से गोपाल को कई बार मुश्किलाएं पार करने में मदद की। गोपाल ने अपने मित्रता और सहायता से साँप को एक समझदार और साहसी बना दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी के बारे में जल्दी मत फैसला करो, क्योंकि हमेशा सबका दिल अच्छा हो सकता है और कोई भी अपने परिस्थितियों के बावजूद महानता हासिल कर सकता है।

9. एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी

गाँव में एक बूढ़े आदमी रहता था जिसका नाम रामचंद था। वह बहुत ही बुद्धिमान और अच्छे स्वभाव के थे। उनके चेहरे पर वक्त के साथ बढ़ते जा रहे झुर्रियां थीं, लेकिन उनकी आंखों में एक अनगिनत कहानियां बसी थीं।

रामचंद गाँववालों के बीच में एक जीवनदृष्टि के धनी व्यक्ति बन गए थे। उनका जीवन सद्गुण संतुलित था और उन्होंने हमेशा से अपने जीवन को सर्वांगीण रूप से जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

एक दिन, एक युवक ने रामचंद से पूछा, “बाबूजी, आपने इतने लंबे समय तक इस समय में कैसे समर्थ रहा हैं और इतनी सारी कहानियां एकत्र कैसे की हैं?”

रामचंद मुस्कराएं और बोले, “बेटा, जीवन के हर दिन को एक नई कहानी के रूप में देखो। हर चुनौती को एक सीख मानो और हर सफलता को एक उत्साह भरे पल के रूप में देखो। जीवन में कभी हार नहीं मानो और हमेशा आगे बढ़ने का प्रयास करो।”

रामचंद ने अपने जीवन के सारे अनुभवों से यह सिखाया कि समय बदलता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने मार्गदर्शक और सहायक हो सकते हैं, बावजूद उम्र के बढ़ने के बावजूद।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन के हर दौर में नई सीख होती है और उससे हमें बुद्धिमानी और संजीवनी मिलती है।

10. रास्ते में बाधा की कहानी

गाँव का एक छोटा सा बच्चा नामक राजू रास्ते में एक बड़ी सी बाधा देखता है। वह बाधा ऐसी होती है कि सभी लोग उससे गुजरने में परेशान हो रहे थे।

राजू को देखकर एक बड़ा आदमी मुस्कराए और कहा, “राजू, यह बाधा हमें हमेशा से परेशान कर रही है, हम इसे पार कैसे करें?”

राजू ने मुस्कराकर उत्तर दिया, “बड़े भैया, हर मुश्किल का समाधान होता है, हमें बस एक नई दृष्टि से इसे देखना होगा।”

राजू ने गाँववालों को मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने सभी को मिलकर काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक बड़ी टोनेल बनाई और उसे सजाकर सभी गाँववालों को बताया कि अब वे बाधा को आसानी से पार कर सकते हैं।

गाँववालों ने समूह में मिलकर काम किया और राजू की दिखाई गई नई दृष्टि ने उन्हें रास्ते में बाधा को पार करने का रास्ता दिखाया। उन्होंने साथ मिलकर एक नयी राह बनाई और अब सभी आसानी से बाधा को पार कर सकते थे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमें अपनी स्थिति को नई दृष्टि से देखना होता है और समृद्धि के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाना होता है।

11. लोमड़ी और अंगूर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जिसका नाम लिली था। लिली बहुत ही खुश और चालाक लोमड़ी थी। एक दिन, वह जंगल के किनारे एक अंगूर के पेड़ के पास जा रही थी।

लिली को अंगूर देखकर भूख लगी, और उसने सोचा, “इस अंगूर का स्वाद कैसा होगा? मुझे एक चुराई जाए।”

लिली ने अंगूर की ओर बढ़ते हुए धीरे-धीरे चलते हुए देखा कि वहां एक बड़ा सा बंदर खड़ा है। बंदर अंगूरों को खा रहा था और बहुत ही खुश दिखाई दे रहा था।

लिली ने बंदर से पूछा, “भैया, ये अंगूर इतना स्वादिष्ट कैसे है? मुझे भी खाना है।”

बंदर ने हंसते हुए कहा, “तुम यहां आओ, दोस्त! अंगूर बहुत ही मिठा है।”

लिली बंदर के पास गई और उसने भी अंगूर खाना शुरू किया। दोनों ने मिलकर मिठाई का आनंद लिया और एक-दूसरे के साथ खूब मस्ती की।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चालाकी से किसी को ठगना या छल करना ठीक नहीं होता। कहानी हमें यह भी बताती है कि सहज और ईमानदारी से ही सच्ची मित्रता और खुशियाँ मिलती हैं।

12. अहंकारी गुलाब की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक बड़े सुंदर बगीचे में एक अहंकारी गुलाब खिल रहा था। यह गुलाब बाग का सबसे सुंदर और रंगीन गुलाब था और वह इस बात को लेकर बहुत गर्व महसूस करता था।

गुलाब दूसरे पौधों के साथ मिलकर बातें करने में नहीं रुचिवान था। वह अपनी ऊँचाई और बड़े फूलों को देखकर अन्य पौधों को हमेशा चिढ़ाता था।

एक दिन, एक बूँद बारिश गुलाब के पास आई और उसे बोली, “गुलाब भैया, तुम इतने हसीन होने के बावजूद अपने साथी पौधों के साथ इतना अहंकार क्यों करते हो?”

गुलाब ने उत्तर दिया, “मुझे अपनी सुंदरता पर गर्व है, और मैं अपनी ऊँचाई और बड़े फूलों के बिना बेहद अद्वितीय हूँ।”

बूँद बारिश ने हंसते हुए कहा, “पर गुलाब भैया, सच्ची सुंदरता वह है जो अंदर से आती है, हमेशा दूसरों के साथ हमारा बराबरी करना अच्छा होता है।”

उसी समय, बाग के दूसरे हरियाली पौधों ने गुलाब से कहा, “हम सभी मिलकर एक-दूसरे को सहारा देते हैं और बग को रंगीन और समृद्धि देते हैं।”

गुलाब ने अपने अहंकार को छोड़कर समझा कि सच्ची सुंदरता और समृद्धि साझा करने में ही वास्तविक सुख है। उसने अपने साथी पौधों के साथ मिलकर बाग को और भी सुंदर बनाया और सभी ने मिलकर एक-दूसरे की मदद करके बाग को समृद्धि दी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अहंकार और अकेलापन सच्ची सुंदरता और समृद्धि के रास्ते में आने वाली बड़ी रुकावटें हो सकती हैं।

13. कौवे की गिनती

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में कुछ बच्चे एक स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन, उन्होंने अपने अध्यापक से पूछा, “सर, कौए की गिनती हमें कैसे पता चलेगी?”

अध्यापक ने हंसते हुए उत्तर दिया, “ठीक है, मैं तुम्हें एक कमीने तरीके से बताता हूँ।”

अध्यापक ने हर छात्र को एक छोटे से बोर में 10 कौवों को बंद करके दिए। उन्होंने कहा, “तुम्हें इस बोर के अंदर से देखना है, और गिनती करनी है कौओं की।”

बच्चे बोर को खोलकर देखते हैं, लेकिन सभी कौए बहार बहार उड़ जाते हैं। अध्यापक फिर से हंसते हुए बोले, “तुम ध्यान से देखो, और गिनती करो।”

बच्चे फिर से बोर को खोलकर देखते हैं, लेकिन फिर से सभी कौए उड़ जाते हैं। इसमें एक बच्चा बहुत ध्यानपूर्वक गिनती करता है और फिर बोर को बंद करके बोलता है, “सर, एक कौआ बोर में ही रह गया है, बाकी सभी बाहर उड़ गए हैं।”

अध्यापक ने मुस्कराकर कहा, “बहुत अच्छा, तुमने सीख ली है कि ध्यान से और सही तरीके से काम करने से ही सही जवाब मिलता है।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा ध्यान से और ईमानदारी से काम करना चाहिए, ताकि हम सही नतीजे प्राप्त कर सकें।

14. लालची आदमी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक आदमी रहता था जिसका नाम रामु हुआ करता था। रामु बहुत ही लालची और मतलबी आदमी था। उसका एक ही मकसद था – धन कमाना और और धन बढ़ाना।

एक दिन, रामु को गाँव के एक पुराने बुजुर्ग ने सिखाया कि धन कमाना तो अच्छी बात है, लेकिन लालच और मतलब से ही जीना अच्छा नहीं होता। वहने बताया कि साझा दारीया से जीवन जीना बहुत ही अच्छा होता है।

रामु ने सुना, लेकिन उसने उस बुजुर्ग की बातें नजरअंदाज कर दी। वह अपने लालच में इतना डूबा रहा कि उसने गाँव के लोगों के साथ मिलकर कोई साझा दारीया नहीं किया।

धीरे-धीरे, रामु का धन बढ़ता गया, लेकिन उसका लोगों के बीच एकलपन बढ़ता गया। एक दिन, उसका अच्छा दोस्त उससे मिलकर बोला, “रामु, तू इतना धनी हो गया है, पर तेरे चारों ओर सिर्फ समाहित और अपने लालच में डूबे लोग ही हैं। तूने कभी साझा नहीं किया और यहाँ की साझा दारीया में नहीं भागा।”

रामु ने इस पर गहरे विचार किए और समझा कि उसने सचमुच में जीवन को साझा दारीया में नहीं बिताया। उसने अपने लालच को छोड़ा और गाँव के लोगों के साथ मिलकर साझा दारीया में भाग लिया।

जैसे ही रामु ने साझा दारीया में भाग लिया, उसका जीवन समृद्धि से भर गया और उसने अच्छे संबंध बनाए। उसने समझा कि अच्छे संबंध और साझा दारीया ही जीवन को सार्थक बनाते हैं।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धन कमाने के साथ-साथ उसे सही तरीके से साझा करना भी महत्वपूर्ण है। लालच और मतलब से ही नहीं, साझा दारीया में जीना हमें अधिक संतुलन और सुख देता है।

15. लोमड़ी और सारस की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी और सारस दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा एक साथ घूमते फिरते थे और एक दूसरे की मदद करते थे।

एक दिन, लोमड़ी और सारस ने मिलकर एक बड़ा खेत देखा जिसमें बहुत सारे फल और सब्जियां थीं। वहां एक बड़ा अमरूद का पेड़ भी था। लोमड़ी ने सोचा, “हमें इस अमरूद के फल का मजा लेना चाहिए, लेकिन वह बहुत ऊचा है और हम तक पहुंचना मुश्किल है।”

सारस ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, मेरे दोस्त, हम मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे।”

लोमड़ी और सारस ने मिलकर योजना बनाई कि वे एक बड़े पत्थर को अमरूद के पेड़ के पास रखेंगे और उस पत्थर को चढ़कर वे फल हासिल करेंगे।

उन्होंने योजना के अनुसार किया और बड़े पत्थर को पेड़ के पास रखा। लोमड़ी ने सारस को चढ़ने में मदद की, और फिर वे बहुत सारे अमरूद के फल हासिल करने में सफल रहे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मिलकर और सहायता करके हम किसी भी मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं। दोस्ती और सहयोग से हमें अच्छे और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

16. क्रिस्टल बॉल की काहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटी सी गाँव में एक गरीब लड़की रहती थी जिसका नाम लीला था। लीला बहुत ही समझदार और सपने देखने वाली थी। वह गरीब थी, लेकिन उसके दिल में बड़े-बड़े सपने थे।

एक दिन, गाँव में एक मेला आया, और उसमें एक जादूगर भी आया था। लोग मेले में भीड़ लगा थे, और सब जादूगर की प्रदर्शनी देखने के लिए उत्सुक थे।

लीला भी मेले में गई और जादूगर की प्रदर्शनी देखने के लिए खड़ी हो गई। जादूगर ने एक क्रिस्टल बॉल को उठाया और उसमें से बहुत सी चमकती रेखाएं बनाईं।

फिर जादूगर ने बताया कि यह क्रिस्टल बॉल सपने पूरे करने की शक्ति रखता है। जो भी इसे देखता है, उसके सपने सच हो जाते हैं। लेकिन जादूगर ने एक शर्त रखी – इसे देखने वाले को आत्मविश्वास रखना होगा और मेहनत करनी होगी।

लीला ने तुरंत अपना सपना देखा – वह एक बड़ी जाने-माने गायन कला के कार्यक्रम में गाना चाहती थी। उसने जादूगर से कहा, “मैं यही सपना देखती हूँ कि मैं एक बड़े स्तर पर गाना गा सकूँ।”

जादूगर ने उसे क्रिस्टल बॉल दिया और कहा, “तुम्हारा सपना पूरा होगा, लेकिन तुम्हें मेहनत करनी होगी और आत्मविश्वास बनाए रखना होगा।”

लीला ने जादूगर की बातों का पालन करते हुए मेहनत की, और उसका सपना सच हो गया। वह बड़े स्तर पर गाने का मौका प्राप्त करने ली।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत, आत्मविश्वास, और सही दिशा में प्रयास करना बहुत ज़रूरी है। सफलता का मौका सिर्फ मेहनती और आत्मविश्वासी लोगों को ही मिलता है।

17.  चींटी और कबूतर

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक चींटी और कबूतर बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खेतों में घूमते और समय बिताते थे।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला लगा। चींटी और कबूतर ने भी मेले का आनंद लेने का निर्णय किया। मेले में वे बहुत सारी खुशियां और मजेदार चीजें देखने को मिलीं।

मेले में एक खेल बहुत चर्चा में था जिसमें एक गोली एक टार्गेट को हिट करनी थी। चींटी और कबूतर ने भी इस खेल में भाग लेने का निर्णय किया।

गोली चलने का समय आया, और चींटी ने गोली चलाई। वह टार्गेट को बिलकुल भी नहीं हिट कर सकी। उसका निराशा देखकर कबूतर मुस्कराए और उसने भी गोली चलाई।

मित्रों ने देखा कि कबूतर की गोली ने टार्गेट को सीधा हिट किया। सभी ने कबूतर को बधाई दी और उसकी कौशल की सराहना की।

चींटी थोड़ी देर तक उदास रही, लेकिन फिर उसने कबूतर से कहा, “तूने तो गोली बहुत अच्छे से हिट की, मैंने तो गलती कर दी।”

कबूतर ने मुस्कराते हुए कहा, “दोस्ती में कोई ग़लती नहीं होती। हम सभी अपनी कमियां स्वीकार करते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं।”

चींटी ने भी मुस्कराते हुए समझाया, “तू सही कह रहा है, दोस्ती ही सबसे महत्वपूर्ण है।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमेशा अपनी कमियों को स्वीकार करें, और दोस्तों की मदद करने में जुट जाएं। एक-दूसरे की सहायता से हम सब में सुधार और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

समापन

इस अनुपम संग्रह के साथ, हम यहाँ समापन पर पहुँचते हैं। ये नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हमें यह बताती हैं कि जीवन के हर पहलुँ में हमें सीख और उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का एक मार्गदर्शन मिलता है। बच्चों को इन कहानियों के माध्यम से नैतिक मूल्यों का महत्वपूर्ण सामग्री प्राप्त होता है, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकता है।

यह संग्रह बच्चों के साथ-साथ हर आयुवर्ग के लिए उपयुक्त है ताकि सभी इससे सीख सकें और अपने जीवन को सकारात्मक रूप में आगे बढ़ा सकें। हम आपको धन्यवाद देते हैं कि आपने हमारी कहानियों को पढ़ा और उससे सीखा। हमें आशा है कि यह यात्रा आपके लिए उत्कृष्ट और प्रेरणादायक रही हो।

धन्यवाद।

Leave a Comment